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भाई के दोस्त ने बस में-2

प्रेषिका : रुचि
कुछ देर बाद उस ने मेरी पैंटी खींच कर नीचे कर दी और मैंने उसे उतार दिया। फिर मुझे सोफे पर बिठा कर स्वयं नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया और मेरी टाँगों को खोल कर मेरी चूत के ऊपर चूमने लगा।
फिर उसने ऊपर होकर मेरे होठों को चूमा और फिर नीचे हो कर मेरी नाभि के आस पास चाटने लगा। उसकी एक उंगली मेरी चूत को सहला रही थी और मैं जोर जोर से सिसकार रही थी। फिर उसने अपनी जीभ से मेरी चूत के ऊपर चाटना शुरू कर दिया। उसने मेरे चूतड़ों के नीचे हाथ डाल कर मेरी चूत को अपने मुँह के और पास कर लिया। उनके हाथ मेरे मम्मे दबा रहे थे और जीभ मेरी चूत के अंदर बाहर हो रही थी। सिर्फ पाँच मिनट बीते होंगे कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं जोर से हुंकारते हुए झड़ गई।
फिर मैं पीछे मुड़ी और घोड़ी बन कर उसकी पैंट, जहाँ पर लण्ड था, पर अपना चेहरा और गालें रगड़ने लगी। मैंने उसकी शर्ट खोलनी शुरू कर दी थी।
जैसे जैसे मैं उसकी शर्ट खोल रही थी उसकी चौड़ी और बालों से भरी छाती सामने आई।
मैं उस पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगी और चूमने लगी। धीरे धीरे मैंने उसकी शर्ट खोल कर उतार दी। वो मेरे ऐसा करने से बहुत खुश हो रहा था। मुझे तो अच्छा लग ही रहा था। मैं मस्त होती जा रही थी। मेरे हाथ अब उसकी पैंट तक पहुँच गए थे, मैंने उसकी पैंट खोली और नीचे सरका दी।
उसका लण्ड अंडरवियर में कसा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि जैसे अंडरवीयर फाड़ कर बाहर आ जाएगा। मैंने उसकी पैंट उतार दी, मैंने अपनी एक उंगली ऊपर से उसके अंडरवियर में घुसा दी और नीचे को खींचा। इससे उसकी झांटों वाली जगह, जो उसने बिल्कुल साफ़ की हुई थी, दिखाई देने लगी। मैंने अपना पूरा हाथ अंदर डाल कर अंडरवियर को नीचे खींचा। उसका 7 इंच का लण्ड मेरी उंगलियों को छूते हुए उछल कर बाहर आ गया और सीधा मेरे मुँह के सामने हिलने लगा।
इतना बड़ा लण्ड अचानक मेरे मुँह के सामने ऐसे आया कि मैं एक बार तो डर गई। उसका बड़ा सा और लंबा सा लण्ड मुझे बहुत प्यारा लग रहा था और वो मेरी प्यास भी तो बुझाने वाला था। मेरे होंठ उसकी तरफ बढ़ने लगे और मैंने उसके सुपारे को चूम लिया। मेरे होंठों पर गर्म-गर्म एहसास हुआ जिसे मैं और ज्यादा महसूस करना चाहती थी।
तभी उसने भी मेरे बालों को पकड़ लिया और मेरा सर अपने लण्ड की तरफ दबाने लगा।
मैंने मुँह खोला और उसका लण्ड मेरे मुँह में समाने लगा। उसका लण्ड मैं पूरा अपने मुँह में नहीं घुसा सकी मगर जो बाहर था उसको मैंने एक हाथ से पकड़ लिया और मसलने लगी। वो भी मेरे सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था और अपमे कूल्हे हिला हिला कर मेरे मुँह में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था।
थोड़ी ही देर के बाद उसके धक्कों ने जोर पकड़ लिया और उसका लण्ड मेरे गले तक उतरने लगा तो मैंने लंड चूसने की गति बढ़ा दी और अब लंड अपने मुँह में डाल कर अपने सिर को जोर जोर से ऊपर नीचे करने लगी। तभी उसने अपना लंड बाहर खींचना चाहा पर मैंने उसे नहीं छोड़ा, सिर्फ मुँह से बाहर निकाल कर जोर जोर से हिलाने लगी और उनके लंड से वीर्य की अनगिनत पिचकारियाँ निकल कर मेरे बालों और चेहरे को भिगोने लगीं, उसके लंड से वीर्य की अंतिम बूँद भी निकल गई।
थोड़ी देर के बाद वो फिर उठा और मेरे दोनों तरफ हाथ रख कर मेरे ऊपर झुक गया। फिर उसन मुझे अपने ऊपर कर लिया और मेरी ब्रा की हुक खोल दी। मेरे दोनों कबूतर आजाद होते ही उसकी छाती पर जा टकराए।
उसने भी बिना देर किये दोनों कबूतर अपने हाथो में थाम लिए और बारी बारी दोनों को मुँह में डाल कर चूसने लगा। वो मेरे मम्मों को बड़ी बुरी तरह से चूस रहा था। मेरी तो जान निकली जा रही थी।
मेरे मम्मों का रसपान करने के बाद वो उठा और मेरी टांगों की ओर बैठ गया। उसने मेरी पैंटी को पकड़ कर नीचे खींच दिया और दोनों हाथों से मेरी टाँगे फ़ैला कर खोल दी। वो मेरी जांघों को चूमने लगा और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ने लगी। मैंने उसका सर अपनी दोनों जांघों के बीच में दबा लिया और उसके सर को अपने हाथों से पकड़ लिया।
उसका लण्ड मेरे पैरों के साथ छू रहा था। मुझे पता चल गया कि उसका लण्ड फिर से तैयार हैं और सख्त हो चुका है। मैंने उसकी बांह पकड़ी और ऊपर की ओर खींचते हुए कहा- मेरे ऊपर आ जाओ राजा...
वो भी समझ गया कि अब मेरी फुद्दी लण्ड लेना चाहती है। उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया, लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहां से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथों मजबूर थी।
अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया। उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ ऊपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी।
मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी, मैंने उससे कहा- मैं रास्ता दिखाती हूँ, तुम जोर का धक्का मारो।
फिर मैने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गई थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी, सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गई थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चूचियों को चूसने और काटने लगा।
पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।
थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंने इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब दस मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।
मैं भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी। दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंने उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंने अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।
कुछ ही मिनटों में हम दोनो शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गई। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया। फिर जब मैंने बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गई। उसमें से खून रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गई थी पर उसने हिम्मत बंधाई। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। तो उसने मुझे अपने साथ चिपका लिया और मेरे ऊपर एक टांग रख ली। वैसे लेटे लेटे ही हम दोनों की आँख लग गई और हम दोनों ने 15 मिनट की नींद ले ली। फिर उठ कर हम दोनों नहा कर आये तो मुझे अपनी गोद में उठा कर बैड पर लिटा दिया और एक बार फिर हम दोनों चूमा चाटी में व्यस्त हो गये।
मुझे थोड़ी सुस्ती आने लगी तो मैंने करवट लेकर उसकी की तरफ पीठ कर ली। उस ने अपनी एक बाँह और एक टांग मेरे ऊपर रख ली। थोड़ी देर बाद उस ने अपने एक हाथ से मेरे मोम्मे को दबाना शुरू कर दिया और मेरी पीठ को चूमने चाटने लगा। उनका लंड एक ार फिर से तन चुका था और मेरी गांड के नीचे से मेरी जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था।
मेरी गांड को चूमते हुए उसने मेरी गांड के छेद को सहलाना शुरू कर दिया- मम्म्म ! रूचि तुम्हारी गांड कितनी स्वादिष्ट है !" मेरी गांड को चाटते हुए वो बोला।
मैं जोर जोर से सिस्कार रही थी। बहुत समय तक मेरी गांड के छेद को सहलाने के बाद उसने क्रीम से भर कर एक उंगली मेरी गांड में
डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।मैं जानती थी कि आज मेरी गांड फटने ही वाली है। कुछ देर तक मेरी गांड में अपनी उंगली अंदर बाहर करने के बाद उसने मेरी गांड को अपने हाथों से खोला और अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगा। उसका खड़ा लण्ड मेरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगा। मेरी सांसें तेज हो गई, मेरे बदन पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। मेरी टाइट हुई चूचियाँ उसने दबा डाली। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को चीर कर छेद तक पहुंच गया था। मैं अपने आप झुक कर उसके लण्ड को रास्ता देने लगी। लण्ड का दबाव छेद पर बढ़ता गया और हाय रे ! एक फ़क की आवाज के साथ अन्दर प्रवेश कर गया। उसका लण्ड नहीं जैसे कोई चाकू मेरी गाण्ड में उतर गया था। मैं दर्द के मारे तड़प उठी।
मेरे बदन में आग भर गई। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला ली थी। मेरी घुटी घुटी चीखों को सुन कर वो बोला, "रूचि मैं जानता हूँ कि तुम्हें दर्द हो रहा है परंतु अभी तुम्हें आनंद आने लगेगा !" और फिर धीरे धीरे अपना लंड मेरी गांड के अंदर बाहर करने लगा।
थोड़ी देर बाद जब मेरी चीखों की आवाज़ सीत्कारों में बदल गई तो उसने मेरी कमर पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने शुरू कर दिया,"आह रूचि, तेरी गांड कितनी मस्त है !"
अब वो मेरी गांड पर जोर जोर से चपत मार रहा था। कोई बीस तक मेरी गांड मारने के बाद उसके लंड ने मेरी गांड में गरम गरम वीर्य भर दिया। उस ने अपना ढीला होता हुआ लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और मेरे साथ सोफे पर बैठ कर मुझे अपनी गोद में बिठा लिया,"रूचि ! मैंने अपने जीवन में बहुत लड़कियों की गांड मारी है परंतु आज जैसा मज़ा कभी नहीं आया !"
"मुझे भी बहुत मज़ा आया !" उसके चौड़े सीने में अपना चेहरा दबाती हुई मैं बोली।
फिर हम दोनों उठे, कपड़े पहने, अपने आप को संवारा और फिर एक ही बस से वापस घर लौटने लगे। पूरे रास्ते बस में भी वो मेरे साथ मज़ा लेता रहा !
दोस्तो और मेरे भाईयो ! कैसी लगी आपको मेरी कहानी?
मुझे जरूर मेल करना और मुझसे कुछ पूछना हो तो भी मेल करना ! मैं जवाब दूँगी ! मुझे आपकी मेल का इन्तजार है।
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