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टीचरजी बोले, 'आइ लव यू !'

anisha1koi@gmail.com प्रेषक : तरुण अहूजा मैं एक 18 वर्षीय छात्र हूँ और हाल ही में मैंने बारहवीं की परीक्षा दी है। मैं वाराणसी का रहने वाला हूँ। मैं जो घटना आप सबको बताने जा रहा हूँ, अभी कुछ दिन पहले ही घटित हुई है। जब तक मैं इस बात को किसी को बता नहीं देता, मेरे दिमाग और लंड में कुलबुलाहट होती रहेगी। इसी कारणवश दोस्तो, मैं वेदांत आपके सामने अपनी पहली कहानी के साथ हाजिर हूँ जो कि एक सत्य कथा है। आशा करता हूँ कि आप सबको पसंद आयेगी। सर्वप्रथम मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं काफी चिकना एवं लुभावना लोंडा हूँ। शुरू से ही स्कूल की लड़कियाँ मुझ पर मरती आ रही हैं और एक 36 वर्षीय आंटी मेरे लंड का स्वाद भी ले चुकी हैं। मेरा कद 5'8" है और लंड 7 इंची है। मुझे स्कूल के फ़ेयरवेल में स्मार्टेस्ट स्टूडेंट का खिताब भी मिला था अभी दो महीने पहले। अब मैं आप लोगों को रिशांत सर के बारे में बताता हूँ। रिशांत सर एक डॉक्टर हैं जो रोज शाम को दो घंटे गिटार बजाना सिखाते हैं। वो करीब 6 फ़ुट के हैं और काफी स्मार्ट और रौबदार दिखते हैं। डॉक्टर होने के नाते रोजाना व्यायाम करते हैं और अपने घर में ही जिम जैसा बंदोबस्त करके काफी चौड़े सीने और मसल्स के मालिक बन चुके हैं। जब कभी-कभी टी-शर्ट पहनते हैं तो उनकी तगड़ी छाती एवं गुलाबी चुचूक ऐसे दिखते हैं मानो कपड़े चीर के बाहर ही टपक पड़ेंगे। वह एक तलाकशुदा मर्द हैं और उनकी उम्र ठीक 37 वर्ष है। उनका चेहरा काफी बड़ा और मर्दाना है, हल्की-हल्की दाड़ी भी है। मैं पिछले दो सालों से उनसे गिटार बजाना सीख रहा हूँ और शुरू से ही चाहत रखता आया हूँ कि बड़ा होकर उनके जैसा ही दिखूँ। वो मेरे आदर्श हैं और मैं भी उनका पसंदीदा छात्र हूँ। मुझे याद है कि एक बार उन्होंने भरी क्लास में कहा था- वेदांत जितना सुन्दर दिखता है, उतना ही सुन्दर गिटार भी बजाता है। काफी टेलेंटेड बच्चा है। मैं तो शर्म से लाल हो गया था उस दिन। खैर अब मैं आपको इस कथा के मुख्य भाग की ओर ले चलता हूँ जब टीचरजी ने मुझसे कहा- आई लव यू ! याद रखियेगा दोस्तो कि यह सब मात्र 15 दिन पहले ही घटा था। उस दिन शुक्रवार था। वे हर शुक्रवार और शनिवार की छुट्टी रखते हैं पर उस दिन न जाने क्यों मुझे याद नहीं रहा और मैं अपनी गिटार लेकर रोजाना की भांति अपनी स्कूटी पर बैठकर उनके घर को निकल पड़ा। गर्मी के चलते मैंने स्लेटी रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट पहन रखी थी, नीचे जामुनी रंग की कैपरी थी जिसमें मेरी चिकनी टांगों की हल्की सी झलक दिख रही थी। काफी सेक्सी लग रहा था मैं, जिसका सबूत राह निकलते लड़के-लड़कियों, स्त्री-मर्दों एवं ठरकी बुड्ढों की प्यासी निगाहें साफ़ ब्यान कर रही थीं। मैंने रोजाना की भांति रिशांत सर के घर के खुले दरवाज़े से प्रवेश किया और जाकर कमरे में बैठ गया गिटार निकाल कर। मैं सोच ही रहा था कि आज कोई अन्य छात्र क्यों नहीं दिख रहा कि तभी मुझे याद आया कि आज तो शुक्रवार है। 'धत्त !" मैंने अपना गिटार उठाया और चलने को हुआ ही था कि तभी टीचरजी कमरे में प्रवेश कर गए। उन्होंने पीले रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी जिसमें उनका बदन काफी सेक्सी लग रहा था। मैंने सोचा कि काश ऐसा शरीर मुझे मिल जाए तो दुनिया कि कोई लड़की मुझे अपने बिस्तर गर्म करवाने से नहीं हिचकेगी। फिर मेरी नज़र उनकी छाती से नीचे गई और मेरे गुलाबी गाल तुरंत ही लाल पड़ गए। वह सिर्फ अपनी चड्डी में थे जिसमें से उनके लौड़े का आकार साफ़ झलक रहा था। बैठे हुए भी कम्बख्त काफी बड़ा और मोटा लग रहा था। हाय ऐसा लंड मुझे मिल जाता तो जन्नत हासिल हो जाती ! "अरे वेदांत, तुम आज यहाँ कैसे?" सर ने पूछा। "जी मुझे याद नहीं रही कि आज छुट्टी होगी।" मैं छोटी सी आवाज़ में बुदबुदाया। "इट्स ऑल राईट मेरे बच्चे, चलता है। अब आ ही गए हो तो थोड़ी देर रुक ही जाओ। मैं कुछ खाने को ले आता हूँ।" उन्होंने प्यार भरे अंदाज़ में कहा। "अरे नहीं सर अब बस चलता हूँ..." मैंने कहा। 'ओह गॉड, वेदांत तुम्हें पता है कि तुम मेरे फेवरेट स्टुडेंट हो फिर भी शरमा रहे हो? कम से कम कुछ ठंडा ही पी लो। रुको अभी में कोल्ड ड्रिंक ले कर आता हूँ। मैं तुम्हारी ना-नुकुर नहीं सुनूँगा।' वह बोले। मैंने शर्माते हुए 'ठीक है' कहकर हाँ में सिर हिला दिया। एक बार फिर मेरी नज़र बरबस ही उनके लंड और मज़बूत जाँघों की तरफ चली गई और मेरे गाल दोबारा लालिमा के आगोश में गिरफ्त होकर रह गए। उन्होंने शायद मुझे अपने लौड़े की ओर देखते हुए देख लिया था क्योंकि अगले पल ही वह बोले- सॉरी बेटा, मुझे नहीं पता था कि घर में कोई आ रहा है नहीं तो मैं पूरे कपड़े पहनता ! यह कहकर वो बाहर का दरवाज़ा बंद कर अन्दर चले गए और मैं अपने आपको कोसता रहा कि मुझे उनके लंड की ओर नहीं देखना चाहिए था। दो मिनट बाद वो घुटने तक के शोर्ट्स में कोल्ड ड्रिंक लेकर वापस रूम में आ गए। फिर हम लोग गपशप करते रहे, तभी वह बोले- आओ, मैं तुम्हें अपना गिटार कलेक्शन दिखता हूँ वेदांत ! मैं अचम्भे में था क्योंकि आज तक उन्होंने अपने पुराने गिटारों का कलेक्शन किसी छात्र को पहले नहीं दिखाया था। मैं उनके पीछे-पीछे उनके बेड रूम में गया और उनका गिटारों का नायाब कलेक्शन देखने लगा। उस समय वह मेरे ठीक पीछे खड़े थे और मैं उनकी गरम साँसें अपने कन्धों पर महसूस कर रहा था। तभी वह आकर मुझसे चिपट गए और पीछे से ही मेरे हाथ पकड़ कर गिटार पर एक धुन निकलवाने लगे। उनकी चौड़ी छाती मेरी पीठ में घुसी जा रही थी और उनका लंड मेरी गांड से सट कर हिलौरें मार रहा था। मेरे दिमाग में अजीब सी उथल पुथल मची हुई थी कि यह क्या हो रहा है, गिटार की धुन मुझे मदहोश कर रही थी और टीचरजी के मज़बूत हाथ मेरे हाथों को चलाये ही जा रहे थे। मैं आँखें बंद किये इस अदभुत पल का आनंद ले रहा था कि तभी सर ने गिटार बजानी बंद कर दी। वह अभी भी मुझसे लिपटे हुए थे और उनकी साँसें काफी गर्म हो गई थी जो मेरे गालों को छेड़ते हुए गुदगुदा रहीं थीं। अब मुझे एक अजीब सा डर लगा पर तभी उन्होंने मेरे कानों में धीरे से फुसफुसाया- बच्चे, जिस दिन से तुम यहाँ आये हो तभी से तुम मुझे पसंद हो। तुमसे ज्यादा टेलेंटेड और सेक्सी लड़का मैंने आज तक नहीं देखा, आइ लव यू ! मैं यह सुनकर सन्न रह गया। उन्होंने मुझे अपनी ओर घुमाया और कस कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने शर्म से अपनी आँखें झुका ली पर उन्होंने एक हाथ से धीरे से मेरा चेहरा ऊपर किया और बहुत ही प्यार और मादकता भरे अंदाज़ में मेरी आँखों में देखकर मुस्कराकर देखने लगे। मैं तो मानो सम्मोहित सा हुआ उनके चेहरे को निहारता ही रह गया और तभी उन्होंने अपने होंठ झुका कर मेरे होंठो पर रख दिए और उन्हें ज़ोर से चूसने लगे। मुझे ऐसा आनन्द किसी लड़की के साथ कभी नहीं आया था और मैं भी उनके गीले होंठों को चूसने लगा। उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और उसे अन्दर से चाटने लगे। हम करीब 5 मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे से जकड़े हुए चुम्बन करते रहे। दोनों के लौड़े टनाटन थे और मैं उनके बदन की गर्मी में पिंघलकर उनसे एक होता जा रहा था। तभी उन्होंने पीछे होकर मेरी आँखों में देख कर दोबारा कहा- आई लव यू वेदांत, मेरे बच्चे ! और इस बार अनायास ही मेरे मुँह से भी निकल गया- आई लव यू टू सर ! अपने कथन पर मुझे खुद काफी अचम्भा हुआ और मैं शर्मा गया। यह सुनकर सर ने अपना सिर पीछे कर एक ज़ोरदार अट्टहास लगाया जो मेरे दिल को चीर गया और जिसने मेरे लंड में खलबली मचा दी। मैं तुरंत उनके होंठों की ओर लपका मगर यह दूसरा चुम्बन पहले से ज्यादा उग्र और दबंगई भरा था। उन्होंने मेरे होंठ चूसते चूसते ही मेरा लंड कैपरी के ऊपर से कसकर भींचा और मुझे उसी के बल ऊपर कर गोद में उठा लिया। मेरे मुँह से एक दर्द भरी आह निकल गई और मैं भी अपने हाथों से उनके फौलादी वक्ष को रगड़ने लगा। वह मुझे गोदी में उठाए हुए ही बिस्तर पर लाये और ज़ोर से पटक कर मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरा पूरा बदन चूमने लगे। उन्होंने मुझे पूरा नंगा किया और मेरा 7 इंची लंड एक बार में निगल गए। 'आह सर, ज़रा आराम से, आह हए मेरे शेर थोड़ी नरमी दिखाओ !' मैं चिल्लाया पर मेरी उँगलियाँ उनके बालों में घुस कर उनका सिर अन्दर की ओर दबाती ही गईं। 'अरे मेरे राजकुमार, ऐसे कैसे नरमी दिखाऊँ ! इतने दिनों तक तड़पने के बाद आज तो तू मिला है।' कहकर वो फिर मुझे चूसने लगे और मेरी गोटियों को चबाते हुए मेरा सब कुछ मुँह में भरकर जीभ से सहलाने लगे। क्या अतुलित आनन्द था। तभी उन्होंने अपना मुँह मेरी टांगों के बीच से निकला और मुझे चाटते हुए मेरे मम्मों की ओर बढ़ चले। जैसे ही उन्होंने मेरे चुचूक अपने मुँह में भरे, मैं आनंद भरी सिसकारियाँ छोड़ने लगा। 'आप भी कपड़े उतारो न, आपकी बेमिसाल बॉडी के दर्शन करने हैं !' मैं आहें भरता हुआ बोला। 'सिर्फ दर्शन ही करोगे या और कुछ भी?' उन्होंने शरारती अंदाज़ में पूछा तो मेरे तन बदन में आग लग गई थी जैसे। 'ले मेरे राजा, देख क्या है इन कपड़ों के भीतर !' वह सेक्सी सी आवाज़ में बोले और तुरंत अपने कपड़े चीर फाड़ कर इधर उधर फ़ेंक कर मेरे ऊपर आ गए। उफ़ क्या फौलादी जिस्म था और वह लंड ! साला इतना मोटा और कमसिन था कि मैं पागल ही हो गया उसे देखकर। करीब 8 इंच का तो होगा ही। अब मैं उनके ऊपर लेट गया और कस कर उनके चुचूक चूसने लगा। मेरे हाथ उनकी गोटियों से खेल रहे थे। मैंने उनके मम्मों में कस कर काटा और नीचे को उनका बदन चूसते हुए उनके लौड़े की ओर अग्रसर हो गया। कुछ देर तक उनके हथोड़े के साथ खेलने के बाद मैंने उसे मुँह में ले लिया और जीभ से गोलाई में घुमा घुमा कर उस फौलादी देवता की पूजा करने लगा। तभी उन्होंने मेरा सिर पकड़ के ज़ोर का धक्का लगा दिया और पूरा का पूरा मेरे गले तक उतार दीया। 'उम्फ !' मेरे मुँह से आवाज़ आई। पर मैं भी कम कमीना नहीं हूँ, पहली बार था लेकिन फिर भी बड़े प्यार से डलवाए रहा। अब सर भी पूरे जोश में थे और ज़ोर ज़ोर से धक्के मार मार के लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर कर रहे थे। पाँच मिनट तक मुँह की चुदाई करने के बाद उन्होंने लौड़ा बाहर निकाला और फिर मुझे उल्टा कर मेरी चिकनी गांड सहलाने लगे और अपनी जीभ अन्दर बाहर करने लगे। 'म्म्ह सरजी, आह ! यह क्या कर रहे हो?' मैं चिल्लाया। 'आइ लव यू मेरे बच्चे, आह... बस इस चिकनी गांड को अपने लंड के लिए ढीला कर रहा हूँ।' 'क्या? ओह नो, प्लीज़ यह नहीं !' मैं चिल्लाया पर वो थे कि मेरी गांड चाटते ही जा रहे थे। 'आह प्लीज़ जानू अभी मैं तैयार नहीं हूँ।' मैंने बोला। उन्होंने अपना सिर मेरी गुलाब जैसी गांड से निकाला और प्यार से मुस्कराकर कहा।'आपका हुकुम सर आँखों पर सरकार !' यह सुनकर मेर हँसी छूट पड़ी और वो फिर एक बार मेरे ऊपर लेट कर मेरे रसीले होंठों का रस पीने लगे। अपनी मज़बूत और ताकतवर जकड़ से वो मेरी मुट्ठी भी मारते जा रहे थे। 'मेरा निकलने वाला है जानू आह !' मैं नशे में बोला। मेरा हीरो तुरंत जाकर मेरे लंड पर व्यस्त हो गया और मेरी गांड में उंगली करने लगा। जब मेरा पानी छुटा तब मैं ज़ोर से चिल्लाया पर टीचरजी सब गटक गए। मैं हाँफने लगा उसके बाद लेकिन टीचरजी ने तुरंत अपना लंड मेरे मुँह में डाल कर धक्के लगाने चालू कर दिए। कुछ देर में उनके नमकीन पानी से मेरा मुँह भर गया पर मैं उसे ऐसे चाटता गया मानो अमृत हो। अब हम दोनों झड़ चुके थे और ज़ोर ज़ोर से हांफ रहे थे। रिशांत सर मेरे ऊपर धराशायी हो गए और अपनी छाती तले मुझे दबाकर चूमते रहे। हम लोग एक घंटे ऐसे ही प्यार भरी बातें करते हुए, एक दूजे की बाहों में जकड़े पड़े रहे। उसके बाद सर मुझे बाथरूम ले गए और अपने हाथों से मुझे नहलाने के बाद कपड़े पहना दिए। फिर सर ने फ़ोन पर पिज़्ज़ा आर्डर कर के मँगाया। पिज़्ज़ा खाने के बाद एक अंतिम गीले और प्रेम भरे चुम्बन के बाद मैं घर आ गया और दिन भर रिशांत सर के मर्दाने जिस्म की यादों में मुट्ठी मारता रहा। दोस्तो, इसके आगे क्या हुआ वह फिर कभी। आपको यह कहानी कैसी लगी? आपका दोस्त, वेदांत हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
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