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जरूरत है एक लौड़े की

19 साल की ही तो हुई थी मैं, जब मुझे कुछ रुपयों रूपये के बदले में पैंतालीस साल के सेठ नवीन कुमार को बेच दिया गया था। भले लोग कहते रहें कि मेरी शादी हुई थी लेकिन उस दिन मैं बेची गई थी। गरीबी के वजह से एक लड़की की समस्याएँ कितनी बढ़ जाती हैं यह मुझ से ज्यादा किसे पता होगा भला ! सेठ चलने के काबिल तो था नहीं, वो बिस्तर में मुझे क्या खुश कर सकता था। मेरी केवल यही गलती थी कि मैं गरीब घर में पैदा हुई थी, बाप को शराब के पैसे कम पड़ने लगे इसलिए उसने मुझे बेच ही दिया ! हाय रे मेरा नसीब ! लेकिन सच बताऊँ मैं सेठ नवीन कुमार के घर आकर सेठानी बन गई थी, यहाँ पानी भी लेकर नहीं पीना पड़ता था, नौकर सब काम करते थे। मैंने 2-3 महीने तक इस खूसट के लंड को उठा कर अपनी रोज पानी बहाती गीली चूत में लेने की कोशिश की लेकिन उसका लंड अब चुदाई के लिए नहीं बचा था, वो मुश्किल से लंड चूत के अंदर घुसाता और अभी मैं चुदाई का अनुभव अपनी गीली चूत में कर सकूँ उसके पहले तो वो बह जाता था। सेठ नवीन कुमार को भी शर्म आती थी, उसने मुझे कहा- पहली बीवी के मरने के बाद मैंने इतनी मुठ मारी कि मेरी यह हालत हो गई है। उसने मुझे अपनी चूत के लिए एक अदद लौड़ा तलाश लेने के लिए कहा। मुझे अक्सर याद आ जाता था सूरज ! मेरी गीली चूत का सहारा ! वही तो था जिसने 18 साल की होने पर मेरी गीली चूत को पहली बार रक्तरंजित किया था। वो हमारे पड़ोस में रहता था, उसकी उम्र मुझसे 5 साल ज्यादा थी, वो अक्सर मुझे हमारे घर के पास एक बेकार टूटे फ़ूटे कोठरीनुमा कमरे में चोदता था और उसके लंड की मस्ती मुझे बहुत अच्छी लगती थी। वो एक दुकान में सामान्य नौकरी करता था और उसकी पत्नी रीना कपड़े सिलाई करने का काम करती थी। सूरज रीना से ज्यादा मुझे चोदता था लेकिन मेरी शादी हो जाने से मेरे और उसके सबंध बाधित हो गए थे, अभी भी मैं जब मायके जाती तो सूरज का लंड अपनी सदा गीली चूत में लेने का बहाना ढूंढती थी लेकिन अब यह सब मुश्किल हो गया था। लेकिन अब मेरे बूढ़े पति ने कह दिया था कि मैं अपनी लपलपाती चूत के लिए खुद कुछ देख लूँ तो अब रास्ता आसान हो गया था, सूरज को मैंने फिर से लुभाने के लिए अपने पति से एक हफ्ते रहने जाने की अनुमति मांग ली, उसने मुझे भेज दिया। सूरज अभी मुझ से नजर मिलाने से कतरा रहा था। मैंने अपनी परची आज भी वहीं रख दी जहाँ शादी से पहले मैं रखती थी और सूरज उसे लेकर पढ़ता था। मैंने उसे रात को गयारह बजे मिलने के लिए कहा था। मैं उस दिन दोपहर को ही कुछ घंटे सो गई, और घर में अब सेठ नवीन की बीवी होने की वजह से मेरी इज्जत सौ गुनी बढ़ गई थी, एक जमाना था कि मैं काम से फुर्सत नहीं पाती थी और अभी काम करने को कुछ था ही नहीं। रात को मैं उठी और सूरज की राह देखते हुए उसी कोठरी के अंदर ही छिपी बैठी रही। सवा ग्यारह बजे और सूरज की आवाज आई। सूरज अंदर आ सके इस लिए मैंने तुरंत दरवाजे की कड़ी खोल दी, वह सीधा अंदर आ गया। मेरे से सच में रहा नहीं जा रहा था, दोपहर को सूरज को देखने के बाद से ही गीली चूत डंडा और केवल डंडा मांग रही थी। इस गीली चूत को सेठ का लौड़ा ठण्डा नहीं कर सका, शायद उसकी किस्मत फूटी थी। सूरज कुछ कहे, उसके पहले ही मैंने उसका लंड हाथ में ले लिया और जोर से दबाने लगी। सूरज सिसकारियाँ निकालने लगा और वो मुझे बोला- अरे तू पगला गई है का बे, तेरे सेठ पति को पता चला तो चुनवा देगा मुझे दीवार से री ! भोसड़ी का बहुत बड़े आदमी से ब्याही तू भी, अब रीना की चूत भी फट सी गई है। मैं मुठ मार के दिन निकाल रहा हूँ। आज तुझे चोद देता हूँ फिर हम ना मिलेंगे। मैंने उसके हाथ अपनी चूचियों पे रखते हुए बोली- अबे सूरज तू घबराता क्यूँ हैं, सेठ का लंड मेरी चूत नहीं ले पाया और उसने मुझे बाहर चुदवाने की छूट दी है, उसे अपने पैसे के लिए वारिस चाहिए। मैं तुझे अपने घर नौकरी दिलवा दूँगी, तू वहीं रहना, जम के चुदाई करेंगे हम ! सूरज ने मेरी तरफ देखा और कहा- सच्ची? तू मजाक तो नहीं कर रही है ना? मैंने कहा- एकदम सच्ची, अरे तू ही तो हैं जो मेरी गीली चूत को रस से भर सके है। सूरज मुझे प्यार से देख के मुझे गले पर चुम्मी करने लगा, मैंने उसके तोते को हिलाना चालू कर दिया, उसकी लुंगी मैंने कब की बातों बातों में उठा ली थी, वो जब भी मुझे मिलने आता अंदर लंगोट नहीं डालता था। सूरज का लौड़ा पकड़ते ही मुझे अपनी गीली चूत के अंदर झुनझुनी होने लगी, सूरज मुझे जोर जोर से चूम रहा था। उसे मेरी चूत चोदने को मिलती रहेगी, यह सोच कर वो भी बहुत उत्तेजित हो उठा था। सूरज ठोक ठोक कर मुझे पेलने लगा, सूरज ने मुझे अब नीचे बिठाया और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया। मैं सूरज का लंड गले तक भर के चूसने लगी, सूरज मेरे बालों में अपने हाथ घुमा रहा था, उसके मुख से संतोष के आवाज आने लली थी- आह आह ओह ओह ओहो ! मुझे भी आज बहुत दिनों के बाद कडक लंड मिला था इसलिए मुझे भी बहुत मजा आने लगा। सूरज मेरे माथे को पकड़ के मुझे जोर जोर से मुँह में चोदने लगा। मैंने अपने हाथ को चूत के उपर रखा और मैं चूत को सहलाने लगी। सूरज मुँह को चोदता ही गया, उसका लंड भी आज बहुत दिन बाद अपने छेद को पाकर खुश लग रहा था। मेरी गीली चूत में मैंने एक उंगली दे दी और मैं लंड चूसने के साथ साथ अपने हाथ से हस्तमैथुन करने लगी। सूरज और मुझे दोनों को बहुत मजा आ रहा था, सूरज की मुँह को चोदने की गति बढ़ने लगी, उसे लंड के ऊपर मेरे दांत भी नहीं गड़ रहे थे ! मेरे और सूरज दोनों के लिए आज बहुत मजे का दिन था और दोनों बहुत ही उत्साहित हुए थे,. सूरज ने तभी एक लंबी आअह ली और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में छोड़ दिया। मेरी गीली चूत में मैंने जोर जोर से उंगली दी और जैसे ही मुझे सूरज के वीर्य का अनुभव मुँह में हुआ, मैं भी उसके साथ ही झड़ गई। सूरज ने अपने कान के ऊपर रखी बीड़ी निकाली और सुलगा ली। उसने जैसे ही बीड़ी ख़त्म की वो चुदाई के दूसरे दौर के लिए तैयार हो चुका था। अब की उसने अपना लंड सीधे मेरे चूत के छेद के ऊपर रख दिया और उसे रगड़़ने लगा। मेरी चूत में वैसे भी चिकनाहट थी और उसका लंड जैसे की मेरी चूत में ही सीधा घुसने लगा। मैंने सूरज को कस के पकड़ लिया और वो चुदाई के झटके मुझे देने लगा। सूरज के लंड से मेरी गीली चूत को असीम सुख मिलने लगा। सूरज भी मुझे कस के चुदाई का मजा देने लगा। रात का सन्नाटा चुदाई के फचफच आवाज को और भी सेक्सी बना रहा था। सूरज मुझे कमर से पकड़े ऐसे ही 5 मिनट तक ठोकता रहा। सूरज ने मुझे अब दिवार के सहारे खड़ा किया और वो और भी जोर जोर से चूत में लौड़ा देने लगा, उसका बांस जैसा लंड मेरी चूत की अंदर की दीवारों को मजा दे रहा था, मेरे मुँह से आह आह निकल रही थी और वो मुझे अब पूरा लंड बाहर निकाल के फिर पूरा लंड अंदर कर के मजे देने लगा। उसकी चुदाई की धकाधक बढ़ती गई और साथ ही मेरी सिसकारियाँ आनंदमयी होने लगी। सूरज ने तभी मुझे बताया कि वो झड़ने वाला है, मैंने अपनी गीली चूत को कस दी उसके लौड़े के ऊपर ! सूरज एक आह के साथ झड़ गया, उसका सारा वीर्य मेरी चूत में निकल पड़ा। आज बहुत दिनों के बाद मेरी चूत को इस असीम सुख का अनुभव हुआ था.!!! मैंने अपने सेठ पति को कह के सूरज को उसके वहाँ नौकरी दिला दी, अब सूरज मेरे सामने ही होता है और वो अब अक्सर मेरी चुदाई यहीं मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर करता है। कई बार तो मेरा सेठ पति कमरे में आता है तो मुझे चुदते देख वापिस मुड़ जाता है। सूरज से मुझे एक बच्चा हुआ है और सेठ भी खुश है क्यूंकि उसे उसके परिवार के लिए वारिस मिल गया है। मैं खुश हूँ क्यूंकि मुझे मेरी गीली चूत के लिए एक मजबूत लंड मिल गया है। anisha1koi@gmail.com हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
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