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मेरे पड़ोस की पूजा

चूत की देवियों को मेरे लंड का प्यार भरा नमस्कार... मेरा नाम राज दुबे है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। पहले मैं अपने लण्ड से परिचित कराता हूँ जिसने बहुत सी चूत की गहराइयों को नापा है। मैं 21 साल का हूँ और मेरा लंड 8" लम्बा है। अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ जो आज से डेढ़ साल पहले घटी थी। मैं दिल्ली में नया ही आया था। बात नवम्बर 2010 की है, मैं दिल्ली के रोहिणी में रह रहा था। मैंने कमरा किराए पर लिया था। पहले दिन ही मैं बालकॉनी में खड़ा था कि मेरी नज़र सामने वाले मकान की तरफ गई तो सामने एक खूबसूरत बाला दिखाई दी। देखते ही मेरे मन में उसे चोदने की इच्छा हुई और बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मारी। फिर आकर मैं वहीं बैठ गया। इस बीच हम दोनों की नज़रें एक दो बार मिली। फ़िर वो नीचे चली गई। ऐसा करते करते एक महीना बीत गया। मुझसे रुका नहीं जा रहा था। मैं रोज नए-नए तरीके सोचता लेकिन कुछ नहीं होता। एक दो बार उसकी मम्मी सड़क पर दिखी तो मैंने नमस्ते की, थोड़ी बात भी की तो पता लगा कि वो बारहवीं में पढ़ रही थी। एक दिन उसकी मम्मी ने बोला- बेटा, हमारा कंप्यूटर चल नहीं रहा है। शायद तुम कुछ कर सको। मैं यहाँ बता दूँ मैं एक सिस्टम इंजिनियर हूँ। मेरी तो समझो भगवान ने सुन ली हो। बस फिर क्या था मैं सीधा उसके घर पर पहुँचा। वो अपने किसी प्रोजेक्ट पर काम करने को बैठी थी। वो मेरे को लेकर अपने कमरे में गई। आंटी यह कह कर चली गई- तुम देखो, मैं चाय बना कर लाती हूँ। यह तो सोने पर सुहागा था। ये वो पल था जब हम दोनों पहली बार इतनी करीब थे। मैंने पेंचकस लिया, पी.सी. को खोला, देखा तो रैम ढीली थी। पी.सी ऑन होते ही उसने थैंक्स बोला। मैंने बोला- यह किसलिए? बोली- पी.सी. को चलाने के लिए। मैंने सीधे कहा- मुझसे दोस्ती करोगी? लेकिन उसने कोई उत्तर नहीं दिया और मैंने चाय पी और चला आया। अगले दिन आंटी फिर आई, पता लगा कि कल वाली परेशानी आज फ़िर है। मैं फिर गया। तब तक आंटी को कोई काम आ गया। वो चली गई और हम दोनों अकेले थे। मैं पी.सी. को देखने के लिए चला तब तक कोई मेरे पीछे चिपक गया। पलट कर देखा तो वो ही थी, बोली- मैं खुद तुम्हारे लिए बेचैन थी। आज मम्मी बाहर गई हुई है, हम दोनों के पास दो घंटे हैं। मेरी तो समझो लॉटरी ही निकल आई हो। मैंने तुरंत उसको गले से लगा लिया और होंठों को चूसने लगा। वो बोली- रुको, पहले दरवाजा बंद करके आती हूँ। दो मिनट में वो आई, मैंने उसे तुरंत पकड़ कर बेड पर डाल लिया। मैं उसके होंठों को चूस रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसके होंठों को चाट कर लाल कर दिया था। मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर था, मम्मे ज्यादा बड़े नहीं थे। अब वो भी गर्म हो रही थी, धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उसके टॉप में डाला और उसके मम्मे निकालने की कोशिश की लेकिन टॉप ज्यादा टाइट था। तो फिर उसका टॉप उतार दिया। अब वो सिर्फ गुलाबी रंग की ब्रा में थी। उसमें वो मानो बला की खूबसूरत दिख रही थी। मैंने उसकी ब्रा को भी उसके बदन से अलग कर दिया लेकिन जींस अभी उसकी चूत को ढके हुए थी, मैंने उसके मम्मों को खूब दबाया। अब मेरा हाथ नीचे जाने लगा, जब उसके पेट पर पहुँचा तो वो सिहर गई। मैंने हाथ पीछे ले जाकर उसको थोड़ा उठाया और जींस भी निकाल दी। लाल रंग की चड्डी में वो मेरे दिल को घायल कर गई। मैंने सीधा उसकी चड्डी को चूम लिया लेकिन फ़िर उसकी चड्डी को भी उतार दिया, अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी।अब उसकी बारी थी तो वो भी अपने काम में लग गई। पहले मेरी शर्ट फिर बनियान को उतार दिया, मेरी पैंट भी उसने उतार दी। अंडरवीयर के अन्दर ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। उसे देखते ही उसका मन खिल गया। झट से उसने अंडरवीयर को नीचे खींच दिया और लण्ड को अपने मुंह में ले लिया। अब मुझे लगा कि वो कुंवारी नहीं है बल्कि दो चार लंड तो उसकी चूत में उतर चुके हैं। लगभग 15 मिनट तक वो मेरा लौड़ा चूसती रही, उसके बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरे लंड को चूस रही थी। थोड़ी ही देर में उसकी चूत से पानी निकालने लगा। मैंने सारा पानी चाट कर दिया लेकिन तब तक मैं भी झड़ चुका था। मेरे माल से उसका पूरा मुँह भर गया। हम दोनों कुछ देर तक शांत रहे। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर खड़ा हुआ और मैं उसे लगातार चूमता रहा।उसके मम्मे भी तन गए थे। वो भी पूरे शवाब पर थी, पर मुझसे किसी ने कहा था कि लड़की को जितनी देर से चोदना चाहिए उतना ही मज़ा आता है। तो मैं सिर्फ चूम ही रहा था। वो अजीब सी आवाज़ें निकालने लगी- चोद दो मुझे... जल्दी करो.. मैं मज़े ले रहा था। मैं उसे मम्मे दबाता रहा। मैंने भी ज्यादा देर करना सही नहीं समझा और उसकी चूत पर लंड रखा एक हल्का सा झटका दिया। थोड़ा ही घुसा "आआआईईईई" उसके मुँह से चीख निकल गई। मैंने हल्का पीछे होकर और एक जोर से धक्का मारा। " आआआआअईईईईई...." एक लम्बी सी आवाज़ के साथ मेरा लंड पूरा उसकी चूत में समां चुका था। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने धक्के लगाना शुरु किया। हम दोनों एक दूसरे का साथ देते रहे, तभी मैंने झटकों की तेजी बढ़ा दी, वो समझ गई कि मैं झड़ने वाला हूँ, बोली- अन्दर ही छोड़ दो। मैं दवा ले लूंगी। एक साथ हम दोनों झड़े फिर दोनों बाथरूम गए, साथ साथ नहाए। उसके बाद हम दोनों ने कॉफ़ी पी। उसके बाद मैं एक किस लेकर चला आया। उसके बाद मैं उसे आज तक चोद रहा हूँ। दूसरी बार मैंने कब कहाँ और कैसे चोदा... पढ़ने के लिए मुझे इस कहानी के बारे में बतायें कि कैसी लगी। gurusex444@gmail.com हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !
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